जब हमने ज्ञानकृति कि स्थापना की थी तब हम हमारे विद्यर्थियों का ऐसा सर्वांगीण विकास चाहते थे जिसके द्वारा वे मर्मस्पर्शी भी हो और अपने मस्तिष्क का भी प्रयोग कर सके | इसके अलावा वे शैक्षणिक योग्यता के साथ साथ भावनात्मक ,शारीरिक ,सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास भी कर सके |हमने चाहा कि हमारा पाठ्यक्रम हमारे सम्माननीय सलाहकारों एवं प्रिय सहयोगियों के अनुसंधान का सार हो ।इस सबको सुचारु रूप से चलाने में internet का महती योगदान हैं जिसके द्वारा हमारी सभी शाखाओं पर स्थित प्राचार्यो एवं शिक्षिकाओं का काम आसान हो गया हैं ।यह सभी लोग अपने तमाम अनुभवों के साथ इस प्री-प्राइमरी पाठ्यक्रम को आकर्षक एवं उपयुक्त बनाने में जुट गए हैं |
हम चाहते हैं कि हमारा पाठ्यक्रम ‘जिज्ञासु प्रवृत्ति ‘को बढ़ावा देने वाला हो | इसका संपूर्ण प्रारूप निम्नलिखित प्रश्नों पर आधारित हैं जिन्होंने मुझे मेरे प्री-प्राइमरी के आधार कार्य एवं अनुसंधान के दौरान परेशान किया —
1.एक १.५ से ६ साल के छोटे से बच्चे से हम क्या क्या सीखने की अपेक्षा करते हैं?
2.उनकी पढ़ाई में हाथ बटाने का सर्वोत्तम तरीका क्या हैं?
3.एक पालक एवं शिक्षक के तौरपर हम कैसे जान पाएंगे कि उन्होंने क्या क्या सीखा ?
कोई भी शैक्षणिक कार्यक्रम अपने वांछित परिणामों से सफल विद्यार्थियो की विशेषता बताने वाला होता हैं । हमारा पाठ्यक्रम भी निम्नलिखित उद्देश्यों पर आधारित हैं –
* हमारे विद्यार्थी एक प्रश्नकर्ता हो जो अपनी पढ़ाई लिखाई के प्रति प्रेम का आनंद उठाये । इसके लिए एक शिक्षक कि भूमिका,उसकी जिज्ञासा को पोषित करने वाले की हो |
* हमारे विद्यार्थी दूसरों की भावनाओं और जरूरतों कि क़द्र करें । हमें उनमे सत्यनिष्ठा ,ईमानदारी ,निष्पक्षता एवं इन्साफ के बीज बोने का प्रयत्न करना चाहिए |
* वे शारीरिक शिक्षा के साथ साथ व्यक्तिगत कल्याण का महत्व भी समझे|
*वे आत्मविश्वास से एवं व्यग्र हुए बिना,किसी भी परिस्थिति का सामना कर सके |
*वे गणितीय चिन्हों के साथ साथ एक से अधिक भाषाओँ में अपनी कल्पनाओं को ग्रहण एवं व्यक्त कर सकें |
* वे ‘ज्ञानकृति‘ में वैश्विक प्रसंगों एवं उनकी अहमियत को खोजने में अपना समय व्यतीत करें |
यह सब करते हुए एक प्रीस्कूल जाने वाले बच्चे कि हैसियत से वे ज्ञान का अकूत भण्डार प्राप्त करेंगे| इसीलिए इस कार्यक्रम का मूलभूत आधार एक जिज्ञासु वृत्ति कि संरचना करना हैं ।हमारे शिक्षक, क्लासरूम एवं अन्य स्थानो पर उनकी जिज्ञासा को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं| अलग–अलग कक्षाओं में अलग–अलग विषय एवं विषय वस्तु का चयन किया गया हैं जैसे अक्षर ,वर्णमाला ,अंक ,प्रकृति ,समाज एवं त्यौहार इत्यादि ।समय पूर्व साक्षरता एवं गणितीय ज्ञान को परंपरागत तरीकों से सिखाया जा सकता हैं ।हमारे विद्यार्थी सामाजिक ,वैचारिक ,स्व –प्रबंधन एवं सम्प्रेषण में प्रवीणता हासिल करने के लिए प्रयत्नशील होंगे|
हम हमेशा ही यही कहते हैं की हमारा पाठ्यक्रम एक ‘प्रगतिशील कार्य ‘ हैं इसलिए ‘ज्ञानकृति पाठ्यक्रम‘ की दृष्टी के प्रति आपके सुझावों का हम स्वागत करते हैं |
जल्द ही हमारी कुछ कल्पनाएँ और lesson-plans हम आपसे साझा करेंगे|
नोट: लेखक, योगराज पटेल, ज्ञानकृति के संस्थापक एवं निदेशक है| यहाँ व्यक्त किये गए विचार व्यक्तिगत हैं।
English Translation: http://www.gyankriti.com/blog/developing-curriculum-for-tomorrows-brightest-kids/